यह बात ध्यान से समझ ली जानी चाहिए सरकारी अफसरों को कि ये इंदौर शहर तुम्हारा जागीर नहीं है भोला भाला मासूम अनाथ बच्चा जो कि इस भयावह महामारी में जैसे तैसे करके अपने घर पालने को निकला था..... अपनी रोजी-रोटी चलाने को निकला था....| उस बेचारे मासूम को क्या पता था कि आज यह सरकारी बेशर्म अफसर मेरी रोजी-रोटी को उजाड़ देंगे क्या नगर निगम के लोग इतने गिरे हुए हैं कि उस बेचारे मासूम का घर ही उजाड़ दिया |
उस बेचारे मासूम की रिश्वत से कमाई गई दौलत नहीं थी...... उसकी मेहनत से कमाई हुई पूंजी थी | बड़ी-बड़ी बातें करने वाले नगर निगम के अफसरों से कोरोना तो संभल नहीं रहा है तो क्या वह गरीबों पर जुल्म ढोएंगे | उस मासूम पारस रायकवार का ठेला पलटाने के बाद पूरे देश भर में नगर निगम इंदौर की किरकिरी हुई |
यहां तक की वरिष्ठ भाजपा विधायक महेंद्र हार्डिया ने खुली चुनौती दे दी थी कि मैं अपने कार्यकर्ताओं के साथ आंदोलन पर उतर जाऊंगा यदि नगर निगम की ये अवैध वसूली रोकी नहीं गई | उन्होंने बकायदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर घटना के बारे में बताया | अपनी ही सरकार के खिलाफ उनका यह मोर्चा खोलने वाला बयान के बाद संपूर्ण नगर निगम के अधिकारी सकते में आ गए थे | जनप्रतिनिधियों के कड़े विरोध के बाद पारस को नया ठेला दे दिया गया था |
इतिहास गवाह है कि जब-जब जनप्रतिनिधियों ने सड़क पर उतरने की चुनौती दी तब- तब सरकारी अमला सकते में आया और जनता को इंसाफ मिला..........!